रविवार, 15 जून 2014

सेंसर बोर्ड ने ‘मछली जल की रानी है’ को चिल्ड्रन्स फिल्म की कैटेगरी में डाला


जयजीत अकलेचा/ Jayjeet Aklecha

मुंबई। केंद्रीय सेंसर बोर्ड ने अपने एक अहम फैसले में ‘मछली जल की रानी है’ फिल्म के लिए नई कैटेगरी बनाते हुए उसे ‘यू यू’ सर्टिफिकेट दिया है। फिल्म की मीडिया में छपी समीक्षाओं के बाद सेंसर बोर्ड के सदस्यों ने इसे देखा और पाया कि यह फिल्म केवल पांच से दस साल की उम्र तक के छोटे बच्चों को ही डरा सकती है। इसलिए उसे बच्चों की हाॅरर कैटेगरी की फिल्म में रखा जाना चाहिए। इसी वजह से एक नई कैटेगरी भी बनानी पड़ी है।
सेंसर बोर्ड के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले बोर्ड ने केवल फिल्म के पोस्टर ही देखे थे और उसके आधार पर उसे डरावनी मानकर ‘ए’ (केवल वयस्कों के लिए) सर्टिफिकेट जारी कर दिया। लेकिन बाद में बोर्ड के सदस्यों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने शनिवार रात को इस फिल्म को देखा। बोर्ड के अधिकांश सदस्यों का मानना था कि फिल्म इतनी बच्चों जैसी है कि इससे शायद आजकल के बड़े बच्चे भी नहीं डरेंगे। ये बच्चे इससे ज्यादा भयावह दृश्य वीडियो गेम्स में देख लेते हैं। इसलिए इसे डबल यू कैटेगरी में रखकर पांच से दस साल की उम्र तक के बच्चों के देखने के लिए अनुशंसित किया गया है। बोर्ड के सदस्यों के अनुसार इससे फिल्म निर्माताओं को भी राहत मिलेगी, क्योंकि इससे उन्हें कुछ ऐसे दर्शक मिल जाएंगे जिन्हें फिल्म देखते समय थोड़ा डर लगेे। बोर्ड के एक सदस्य के इस सुझाव को खारिज कर दिया गया कि फिल्म की शुरुआत में ‘मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है’ गाना डालना चाहिए ताकि अभिभावक बच्चों को फिल्म दिखाने के लिए प्रेरित हो सकें। बोर्ड के अनुसार इस गाने को डालने से फिल्म पीरियड कैटेगरी में चली जाएगी।

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